आज हम हैं क्या पता कल ना होंगे..... सिमटी हुई यादों के कुछ सिलसिले होंगे.... आज हम हैं क्या पता कल ना होंगे..... सिमटी हुई यादों के कुछ सिलसिले होंगे....
मेरी कहानी पुरानी, फिर भी बच्चों की रुची, मेरी कहानी पुरानी, फिर भी बच्चों की रुची,
जुड़ें परस्पर हाथ यदि तो समग्र जग में हो विकास। जुड़ें परस्पर हाथ यदि तो समग्र जग में हो विकास।
किचन से लेकर घर का सारा काम करती हूँ सास ससुर से लेकर बच्चों का ध्यान रखती हूँ किचन से लेकर घर का सारा काम करती हूँ सास ससुर से लेकर बच्चों का ध्यान रखती हू...
और यूं ही कुछ बातें करते हैं। और यूं ही कुछ बातें करते हैं।
आँफिस में आज़ादी मिलती प्रेम -पिटारी जब तब खुलती आँफिस में आज़ादी मिलती प्रेम -पिटारी जब तब खुलती